Dividend क्या होता है ? | Dividend Meaning in Hindi 2023

Dividend क्या होता है

आज के इस रौचक फाइनेंशियल अर्टिकल मे हम चर्चा करेंगे की Dividend क्या होता है? और आगे जानेंगे की डिविडेंड कब मिलता है, कैसे मिलता है? एवं डिविडेंड के कितने प्रकार होते है? शेयर मार्केट मे निवेश करने वाले निवेशकों को तब फायदा होता है जब उनके द्वारा खरीदे गए शेयर्स या सेक्युरिटिज़ की वैल्यू (कीमत) बढ़ जाती है, और निवेशक उस बड़ी हुई कीमत पर अपने शेयर बेच कर लाभ कमा लेता है, जिसे कैपिटल अप्रेसिएशन (Capital Appreciation) कहा जाता है,

लेकिन क्या आप जानते है की शेयर होल्डर्स को उनके शेयर पर कैपिटल अप्रेसिएशन के अलावा एक अन्य पैसिव इनकम भी मिलती है, यानी डबल मुनाफा, जी हाँ! शेयर मार्केट मे कमाई करने का एक अन्य तरीका भी है जिसे स्टॉक मार्केट की दुनिया मे Dividend के नाम से जानते है और हिंदी मे इसे लाभांश कहते है।

पिछले अर्टिकल मे हमने जाना था की शेयर मार्केट से कमाई करने के एक बेहतरीन तरीके सेकुरिटिज़ लैंडिंग एंड बोरोइंग मेकैनिस्म (SLBM) , लेकिन आज के इस लेख मे हम अच्छे से जानेंगे है की आख़िर ये डिविडेंड क्या होता है,

Table of Contents

Dividend क्या होता है | What is Dividend In Hindi

शेयर मार्केट मे लिस्टेड एक कंपनी को एक वित्तीय वर्ष में जब अच्छा प्रॉफिट होता है तो कंपनी उस प्रॉफिट के कुछ हिस्से को अपने शेयर धारको को उनके स्टॉक्स के आधार पर बांट देती है। कंपनी द्वारा शेयर होल्डर्स को बांटे गए इस लाभ को ही डिविडेंड (Dividend) कहते है जिसे हिंदी मे लाभांश कहते है तथा लाभांश बांटने की इस पूरी प्रक्रिया को डिविडेंड डिस्ट्रिब्युशन कहते है।

लाभांश = लाभ + अंश Part of Profit – यानी वित्त वर्ष मे कंपनी द्वारा कमाया नेट प्रॉफिट का कुछ पार्ट

अधिकतर पब्लिक सेक्टर कंपनिया डिविडेंड का भुकतान करती है लेकिन कुछ प्राइवेट कंपनिया भी अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देती है।

उदाहरण से समझते है:

आपके पास xyz कंपनी के 100 शेयर है और xyz कंपनी ने अपने वार्षिक शुद्ध लाभ मे से 9 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से शेयर होल्डर्स को लाभांश वितरित किया तो आपको

100 X ₹9 = ₹900

900 रुपये का भुकतान किया जायेगा।

Dividend infographic in Hindi

stocks Dividend kya hota hai infographic in hindi
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Dividend कैसे मिलता है

कोई कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को Dividend (लाभांश) देगी या नही देगी यह पूर्णतः कंपनी के ऊपर निर्भर करता है। क्योकि अगर कंपनी चाहे तो वह निवेशको को डिविडेंड न देते हुए अपने लाभ को फिर से कंपनी की ग्रोथ मे लगा सकती है, जैसे कंपनी का एक्स्पैंशन करना हो, कोई प्रोडक्ट या सर्विस मार्केट मे लाना या कोई अन्य कंपनी का अधिग्रहण करना हो। इससे भी अंततः शेयर होल्डर्स को ही फायदा होता है।

कंपनी के अंदर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर (निदेशक मंडल) की एक मीटिंग होती है, यह तय करते है की शेयर धारको को कितना डिविडेंड देना है, डिविडेंड देना है या नही, लाभ का कितना प्रतिशत डिविडेंड के रूप मे देना है और डिविडेंड कब देना है ।

Dividend डिक्लेरेशन के बाद एक अनुअल जनरल मीटिंग (AGM) होती है जिसे शेयर होल्डर्स की वार्षिक आम बैठक कहते है। इस AGM मे शेयर होल्डर्स अपने मत का प्रयोग करके बोर्ड द्वारा डिक्लेअर किए हुए डिविडेंड को अप्रूवल देती है।

जब कंपनी को मोटा लाभ अर्जित होता है तब वह अपने शेयर धारको को डिविडेंड का भुकतान करती है ताकि निवेशको को उस कंपनी पर विश्वास बना रहे और उस कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड भी मैन्टेन रहे।

अतः हम कह सकते है की Dividend (लाभांश) शेयर धारको की रेगुलर इनकम का एक अच्छा सोर्स है। शेयर होल्डर्स चाहे तो अपने शेयर्स को ना बेचते हुए केवल डिविडेंड से कमाई कर सकते है।

लेकिन ध्यान रहे कोई भी कंपनी डिविडेंड देने के लिए बाध्य नही है, यह पूर्णतः एक कंपनी के उपर निर्भर करता है की वह डिविडेंड का भुकतान करे या ना करे।

लाभांश का वितरण (Dividend Distribution) :

dividend distribution

डिविडेंड का डिस्ट्रीब्यूशन मुख्य रूप से नकदी के रूप में किया जाता है, यानी कंपनी अपने शेयर धारको को उनके खाते में नगद राशि दे कर या चेक दे कर लाभांश (Dividend) का भुकतान करती है, इसे कैश डिविडेंड कहते है। किंतु लाभांश का भुगतान केवल cash या cheque मात्र से नहीं किया जाता है,

कई बार शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर का आवंटन (shares allotment) करके भी लाभांश का वितरण किया जा सकता है, इसे स्टॉक डिविडेंड या बोनस डिविडेंड कहते है। कोई कंपनी अपने शेयर धारको को कितना शेयर देगी यह उसके लाभांश प्रतिशत पर निर्भर करता है।

डिविडेंड कब मिलता है और साल भर मे कितनी बार मिलता है :

चूंकि निवेशक एक विशेष कंपनी के शेयर खरीद कर आंशिक रूप से उस कंपनी का मालिक बन जाता है तो ऐसे मे जब कंपनी को मुनाफा मिलता है तब लाभ का कुछ हिस्सा उस शेयर धारक को भी मिलना चाहिए। अतः कंपनी को एक वित्तीय वर्ष मे जब बड़ा मुनाफा मिलता है तब तो वह निवेशको को लाभांश वितरित करती है।

जैसा की हमे ज्ञात है की जब कोई कंपनी को एक वित्तीय वर्ष मे बड़ा प्रॉफिट प्राप्त होता है तो वह कंपनी अपने टैक्स व अन्य खर्चो को काटकर बचे हुए शुद्ध लाभ मे से अपने शेयर धारको को डिविडेंड (लाभांश) का भुकतान करती है। कंपनी डिविडेंड का भुकतान इसलिए भी करती है ताकि वह अपने लॉयल शेयर होल्डर को रिवार्ड के रूप कुछ भेंट कर सके।

चूंकि यह तो वाजिब है की जब कोई कंपनी प्रॉफिट में चल रही हो तभी वह अपने शेयरधारकों को डिविडेंड का भुगतान करती है। अगर कोई कंपनी नुकसान में चल रही है या फिर ऐसी कंपनी जो छोटी है, जिसे अपना विस्तार करना है, वह अपने शेयरधारकों को डिविडेंड का भुगतान बिल्कुल नहीं करती है।

आमतौर पर कंपनी अपने निवेशको को मासिक, त्रैमासिक (क्वार्टर्ली) या वार्षिक (अनुअल) आधार पर डिविडेंड देती है। यह पूर्णतः कंपनी पर निर्भर करता है की वह एक वित्तीय वर्ष मे कब डिविडेंड देगी और कितनी बार देगी।

डिविडेंड के प्रकार (Types of Dividend in Hindi)

types of dividend in stock market

उपर के पैराग्राफ मे हमने चर्चा की थी Cash Dividend और Stock/Bonus Dividend की, लेकिन अब जानते है की Dividend (लाभांश) के अन्य कितने प्रकार होते है

अंतिम लाभांश – Final Dividendअंतरिम लाभांश – Interim Dividend
जब कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर (BOD) एक वित्तीय वर्ष के अंत मे डिविडेंड देने की घोषणा करते है जिसे शेयर होल्डर्स की वार्षिक आम बैठक (AGM) मे अप्रूवल मिलने के बाद शेयर होल्डर्स को डिविडेंड दे दिया जाता है। इसे फाइनल डिविडेंड कहते है।जब कंपनी अपने एक वित्तीय वर्ष के पहले आधे भाग मे ही अच्छा प्रदर्शन करती है तो कंपनी का बोर्ड अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देने की घोषणा करता है जिसे अंतरिम डिविडेंड कहते है। अंतरिम डिविडेंड देने की घोषणा 2 अनुअल जनरल मीटिंग (AGM) के बीच होती है।

अंतरिम लाभांश समान्यतः अंतिम लाभांश से कम होता है।

डिविडेंड कैसे काम करता है

किसी भी स्टॉक की दो वैल्यू होती है एक होती है फेस वैल्यू (Face Value) और दूसरी होती है मार्केट वैल्यू (Market Value), कोई कंपनी अपने शेयरधारकों को कितना डिविडेंड देगी यह उसके फेस वैल्यू पर निर्भर करता है

जैसे की एक ABC नाम की कंपनी की Face Value (FV) 10 रुपये है और कंपनी के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर ने 30% का डिविडेंड देने की घोषणा की तो डिविडेंड की गणना कुछ ऐसे करेंगे –

लाभांश = फेस वैल्यू X डिविडेंड %

Dividend = FV X Dividend%

डिविडेंड = 10 X 30%

डिविडेंड = 10 X 30 / 100

डिविडेंड = 3 रुपये

अगर आपके पास ABC कंपनी के 1000 शेयर्स होल्ड किये हुए है तो आपको 3 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 3000 रुपये का डिविडेंड भुकतान किया जायेगा।

Dividend Yield Meaning In Hindi:

प्रत्येक शेयर पर मिलने वाला लाभांश (Dividend) को Dividend Yield कहते है, डिविडेंड यील्ड (DY) यानी लाभांश उपज को प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। यह एक वित्तीय अनुपात है जो कंपनी शेयर की करंट मार्केट प्राइस (CMP) या मार्केट वैल्यू के आधार पर देती है।

2 कंपनी है जिनके स्टॉक अलग-अलग रेट पर ट्रेड कर रहे है तो इन दोनों कंपनियों द्वारा दिया गया डिविडेंड को कंपेयर करने के लिए डिविडेंड यील्ड की जरूरत पड़ती है।

डिविडेंड यील्ड की गणना कुछ इस प्रकार करेंगे –

डिविडेंड यील्ड = (लाभांश प्रति शेयर / कीमत प्रति शेयर ) X 100

Dividend Yield = (Annual Dividend Per Share / Price per Share) X 100

Dividend kaise calculate karte hai? | How to calculate Dividend in Hindi

मान लेते है ABC नाम की को कंपनी है जो अपने शेयर धारको को 3 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने की घोषणा करती है और ABC नामक उस कंपनी के एक शेयर की मार्केट वैल्यू 120 रुपये है तो

डिविडेंड यील्ड = [ 3/120 ] X 100

डिविडेंड यील्ड = 2.5%

Dividend क्यों जरूरी होता हैं | Why Dividend is important (Hindi)

Dividend क्यों जरूरी होता हैं

शेयरधारकों को डिविडेंड (Dividend) बांटना एक अच्छे संकेत का प्रतीक होता है, इससे यह पता चलता है कि वह कंपनी ग्रोथ कर रही है और कंपनी को फायदा हो रहा है और कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड भी अच्छा बना रहता है।

इसके अलावा ऐसे लॉयल शेयर होल्डर्स होते है जो कंपनी मे लंबे समय से इंवेस्टमेंट कर रहे है तो कंपनी ऐसे निवेशको को रिवार्ड के रूप मे डिविडेंड का भुकतान करती है ताकि निवेशको का कंपनी पर भरोसा बना रहे। इसके अलावा डिविडेंड देने से शेयर मार्केट मे कंपनी के प्रति एक पॉजिटिव सेंटीमेंट बना रहता है।

यह भी देखे – म्यूच्यूअल फण्ड और SIP में निवेश कैसे करे?

सबसे ज्यादा डिविडेंड देने वाले शेयर। Highest dividend paying stocks in India

अक्सर निवेशक शेयर मार्केट की किसी कंपनी मे निवेश करने से पहले कंपनी के डिविडेंड पर विचार जरूर करते है, तो चलिए जानते है 2022 मे ऐसी कौन सी कंपनिया है जिन्होंने अपने शेयर धारको को अच्छे डिविडेंड (लाभांश) का भुकतान किया है।

सबसे ज्यादा डिविडेंड देने वाले शेयर लिस्ट –

  1. INEOS Styro = 37.93%
  2. Hinduja Global = 17.38%
  3. IOC = 15.54%
  4. Vedanta Ltd = 14.22%
  5. REC Ltd = 14.03%
  6. NMDC Ltd = 12.46%

(प्रतिशत मे डिविडेंड यील्ड दिया गया है)

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तो हम आशा करते है की यह अर्टिकल Dividend क्या होता है (Dividend meaning in Hindi) आपको जरूर पसंद आया होगा, तथा अन्य जानकारी जैसे डिविडेंड क्यो जरूरी है, डिविडेंड के प्रकार,  तथा डिविडेंड कैसे मिलता है को पढ़कर आपको कैसा लगा, हमे कंमेंट के माध्यम से जरूर बताये।

मिलेंगे फिर से एक नये अर्टिकल के साथ, तब तक के लिए,

धन्यवाद



FAQ:- डिविडेंड

2022 में सबसे ज्यादा डिविडेंड देने वाले शेयर कौनसे है ?

भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनिया –
INEOS Styro = 37.93%
Hinduja Global = 17.38%
IOC = 15.54%
Vedanta Ltd = 14.22%
REC Ltd = 14.03%
NMDC Ltd = 12.46%

डिविडेंड साल में कितनी बार मिलता है ?

किसी भी कंपनी द्वारा डिविडेंट साल में 2 से 3 बार दिया जाता है , यहाँ पूरी तरह से कंपनी पर निर्भर करता है के वह मुनाफे को अपने शेयर होल्डर में बाटना चाहती है या फिर वापस से बिज़नेस में निवेश करना चाहती है।

म्यूच्यूअल फण्ड में डिविडेंड के लिए कितने समय तक निवेश करना पड़ता है ?

अगर आप म्यूच्यूअल फण्ड में मिलने वाले डिविडेंड का लाभ उठाना चाहते है तो आपको कम से कम 60 दिन से ज्यादा समय के लिए stock को होल्ड रखना होता है, इस से कम समय में रखे जाने वाले फण्ड में किसी भी प्रकार का डिविडेंड नहीं मिलता है.

क्या म्यूच्यूअल फण्ड में डिविडेंड मिलता है ?

म्यूच्यूअल फण्ड निवेशक डिविडेंड का लाभ उठा सकता है ,जब mutual fund में किसी भी शेयर के लिए डिविडेंड मिलता है तो कानून के हिसाब से उन्हें निवेशको को देना होता है , यह निर्भर करता है के वह उन्हें निवेशको में वितरित करना चाहते है या फिर उन पैसो को वापस शेयर में निवेश करते है.

Note: यह लेख “डिविडेंड क्या होता है” केवल जानकारी के उद्धेश्य से लिखा गया है। हम SEBI रेजिस्टर्ड सलाहकार नहीं हैं तथा किसी भी प्रकार के निवेश की सलाह नही देते है। कृपया निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल ऐडवाइज़र से सलाह अवश्य लेवे।

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